Got this in email - you might enjoy this beautiful "story" about a great Indian musician.
1958 में साउथ कैलिफोरà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ (लॉस à¤à¤‚जेलà¥à¤¸) में à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संगीत वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ (मà¥à¤¯à¥‚जिकल इंसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‚मेंटà¥à¤¸) की à¤à¤• बहà¥à¤¤ फेमस दूकान हà¥à¤µà¤¾ करती थी.. वो à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° दूकान थी जो पूरे अमेरिका में पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को बेचती थी.. डेविड बरà¥à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¡ इसके मालिक हà¥à¤µà¤¾ करते थे..
à¤à¤• दिन à¤à¤• ३६ वरà¥à¤·à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नौजवान इस दूकान में आया और वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को बड़े धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से देखने लगा..... साधारण वेशà¤à¥‚षा वाला ये आदमी वहां के सेलà¥à¤¸ के लोगों को कà¥à¤› ख़ास आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं कर सका, मगर फिर à¤à¥€ à¤à¤• सेलà¥à¤¸ गरà¥à¤² कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤¾ उसके पास आ कर बनावटी मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨ से बोली कि "मैं आपकी कà¥à¤¯à¤¾ मदद कर सकती हूà¤?"
उस नौजवान ने सितार देखने की मांग की और कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤¾ ने उसको सितारों के संगà¥à¤°à¤¹ दिखाà¤.. मगर उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सारे सितार छोड़ कर à¤à¤• ख़ास सितार पसंद आयी और उसे देखने की ज़िद की.. कà¥à¤¯à¥‚ंकी वो बहà¥à¤¤ ऊपर रखी थी और शोकेस में थी इसलिठउसको उतारना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² था.. तब तक डेविड, जो की दूकान के मालिक थे, वो à¤à¥€ अपने केबिन से निकालकर आ गठथे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज तक किसी ने उस सितार को देखने की ज़िद नहीं की थी.. बहरहाल सितार उतारी गयी तो कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤¾ शेखी घबराते हà¥à¤µà¥‡ बोली "इसे "बॉस" सितार कहा जाता है और आम सितार वादक इसे नहीं बज सकता है; ये बहà¥à¤¤ बड़े बड़े शो में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होती है"
वो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ बोला "आप इसे "बॉस" सितार कहते हैं मगर हम इसे "सà¥à¤°à¤¬à¤¹à¤¾à¤°" सितार के नाम से जानते हैं.. कà¥à¤¯à¤¾ मैं इसे बजा कर देख सकता हूà¤"?
अब तक तो सारी दूकान के लोग वहां इकठà¥à¤ ा हो चà¥à¤•à¥‡ थे..खैर.. डेविड ने इजाज़त दी बजाने की और फिर उस à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ ने थोड़ी देर तार कसे और फिर सà¥à¤° मिल जाने पर वो उसे अपने घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹ पर ले कर बैठगया.. और फिर उसने राग "खमाज" बजाया .... उसका वो राग बजाना था कि सारे लोग वहां जैसे किसी दूसरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में चले गà¤.. किसी को समय और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का कोई होश न रहा.. जैसे सब कà¥à¤› थम गया वहां.. जब राग खतà¥à¤® हà¥à¤µà¤¾ तो वहां à¤à¤¸à¤¾ सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छा चूका था जैसे तूफ़ान के जाने के बाद होता है.. लोगों को समठनहीं आ रहा था कि वो ताली बजाà¤à¤‚ कि मौन रहें..
डेविड इतने अधिक à¤à¤¾à¤µà¥à¤• हो गठकी उस à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ से बोले कि "आखिर कौन हो तà¥à¤®.. मैंने रवि शंकर को सà¥à¤¨à¤¾ है और उन जैसा सितार कोई नहीं बजाता; मगर तà¥à¤® उन से कहीं से कम नहीं हो.. मैं आज धनà¥à¤¯ हो गया कि आप मेरी दूकान पर आये.. बताईये मैं आपके लिठकà¥à¤¯à¤¾ कर सकता हूà¤"
उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने वो सितार खरीदने के लिठकहा मगर डेविड ने कहा इसको मेरी तरफ से उपहार के तौर पर लीजिये.. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ इस सितार का कोई मोल नहीं है, ये अनमोल है, इसे मैं बेच नहीं सकता..
कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤¾ जो अब तक रो रही थी, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उस à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ को चूमा और à¤à¤• डॉलर का नोट देते हà¥à¤ कहा कि "मैं à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कम आंकती थी और अपने लोगों पर ही गरà¥à¤µ करती थी.. आप दà¥à¤•à¤¾à¤¨ पर आये तो à¤à¥€ मैंने बà¥à¤à¥‡ मन से आपको सितार दिखायी थी.. मगर आपने मà¥à¤à¥‡ अचंà¤à¤¿à¤¤ कर दिया.. फिर पता नहीं आपसे कà¤à¥€ मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¼à¤¾à¤¤ हो या न हो, इसलिठमेरे लिठइस पर कà¥à¤› लिखिà¤". उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤¾ की तारीफ करते हà¥à¤µà¥‡ अंत में नोट पर अपना नाम लिखा *"सलिल चौधरी"*
उसी वरà¥à¤· सलिल चौधरी ने अपनी à¤à¤• फ़िलà¥à¤® के लिठउसी सà¥à¤°à¤¬à¤¹à¤¾à¤° सितार का उपयोग करके à¤à¤• बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ बंगाली गाना बनाया जो राग खमाज पर आधारित था.. बाद में यही गाना हिंदी में बना जिसको लता जी ने गाया.. गाने के बोल थे
*ओ सजना.. बरखा बहार आई..* *रस की फà¥à¤¹à¤¾à¤° लायी..* *अखियों में पà¥à¤¯à¤¾à¤° लायी* (परख - 1959)
|